रक्त आयरन रक्त बनाने वाली विशेष प्रकृतिक औषधि है । जो रक्त की रचना व उसकी शुद्धी के सारे केन्द्रों जैसे हड्डी की मज्जा (Bone Marrow), यकृत (Liver), तिल्ली (Spleen) और गुर्दे (Kidney) को शक्ति देती है। जो रक्त के लाल कणों के लिए आवश्यक है। इसमे मिल तत्व प्रोटीन के पाचन में सहायक होते हैं, और मांसिक तथा शारीरिक क्लांति एवं दुर्बलता को दूर करते हैं।


आयुर्वेद के त्रिदोष सिद्धांत के अनुसार रक्त के लाल कणों के निर्माण और उनके बने रहने के लिए तिल्ली (Spleen) का विशेष योगदान है। इसमे मुख्य घटक के रूप में बथुआ, आमला व ओडुम्बर सम्लित है जो तिल्ली को बल प्रदान करते हैं व शरीर में कब्ज जैसी सिकायत नहीं होने देते


रक्त आयरन में सूक्ष्म रूप से सौपुटी लौह भस्म विद्यमान है जो तुरन्त शरीर का अंग बन जाती है इसमे प्रकृति में पाया जाने वाला फोलिक एसिड (Folic Acid) विटमिन B12, विटमिन C भी प्रचुर मात्रा में विद्यमान है।
पोस्टिक खाने की कमी, खान-पान की अनियमितता, महिलाओं मासिक अनियमितता व दुर्बलता के कारण पुरूषों व महिलाओं में रक्त अल्पता RBC (Anemia) का होना समान्यतः बढता जा रहा है।
समान्यतः पुरूष (Male) में 13.8 to 17.2 grams per Deci Liter (g/dL) or 138 to 172 grams per Liter (g/L)
महिलाओं (Female) में 12.1 to 15.1 grams per Deci Liter (g/dL) or 121 to 151 grams per Liter (g/L)
इसके मुख्य घटक मंडूर भस्म, लौह भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म, अभ्रक भस्म मुक्ता पिष्टी आदि हैं।

You may be interested in…

Your cart is currently empty!

Browse store


New in store